आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में मनुष्य खुद की तरफ कम ध्यान दे पाता है, और जब तक अपनी ओर ध्यान देता है, तब तक वो कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो चुका होता है, और उसकी जिन्दगी दवाइयों पर निर्भर हो जाती है। कुछ रोग ऐसे हो जाते हैं जिनमे उसे सारी उम्र दवा खानी पड़ती है। इसी प्रकार एक समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, वो है थायरॉइड की बीमारी…आईए संक्षिप्त में थायरॉइड के बारे में जानने की कोशिश करते हैं…
थायरॉइड ग्लैंड क्या है
प्रत्येक मनुष्य के गले के सामने के भाग में तितली के आकर की एक ग्रंथि होती है, जिसे थायरॉइड ग्लैंड कहते हैं। इससे हॉर्मोंस स्त्रवण होते हैं। T3 यानी त्रिआईडोथायरॉनिन (Triiodothyronine) और T4 यानी थायरॉक्सिन(Thyroxine) मुख्य हॉर्मोन होते हैं और इन हॉर्मोन्स को ब्रेन की पिट्यूटरी ग्लैंड से स्त्रावित थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (TSH or Thyroid Stimulating Harmon) नियंत्रित करता है। T3 और T4 शरीर में ऑक्सिजन के उपयोग की मात्रा को बढ़ाते हैं। इन हॉर्मोन्स के अलावा केल्सिटॉनिन (Cacitonin)नामक हार्मोन भी स्त्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम और फास्फेट को नियंत्रित करता है। ये हार्मोन्स शरीर में बहुत सी क्रियायों को नियंत्रित करते हैं जैसे ग्रोथ, डेवलपमेंट, मेटाबॉलिजम, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना आदि।
थायरॉइड डिजीज के प्रकार
1) घेंघा (Goiter)- यह शरीर में आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है, इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है।
2) हाइपरथायरॉडिज्म (Hyperthyrodism)- इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का बहुत ज्यादा स्त्राव होता है।
3) हाइपोथायरॉडिज्म (Hypothyroidism)- इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का स्त्राव कम होता है।
4) ग्रेव्स डिजीज (Graves disease)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड हॉर्मोन बनाने के लिए बहुत ज्यादा उत्तेजित (over stimulated) हो जाते हैं।
5) थायरॉडाईटिस (Thyroditis)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन और जलन के कारण दर्द होता है।
6) थायरॉइड कैंसर (Thyroid Cancer)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड का कैंसर हो जाता है।
7) थायरॉइड नोड्यूल(Thyroid Nodule)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड में गांठ (lump)हो जाती हैं।
लक्षणः
· कब्ज होना
· डिप्रेशन होना
· शरीर का तापमान बढ़ना
· भूख ज्यादा लगना
· हाथों में कंपन होना
· पसीना ज्यादा आना
· बाल सफ़ेद होना व झड़ना
· थकान होना
· चिड़चिड़ाहट होना
· खुजली होना
· सांस लेने में तकलीफ होना
· नर्वस होना
· धड़कन बढ़ना या कम होना
· वजन बढ़ना
· ठंड व रोशनी सहन न हो
· उच्च रक्तचाप
· त्वचा रूखी होना
· धड़कन कम होना
· चेहरे पर सूजन रहना
· महिलाओं में पीरियड्स से संबंधित तकलीफ होना
· मसल्स में कमजोरी और अकड़न
· जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन
· नींद की समस्या होना
कारणः
थायरॉइड की समस्या दिन-प्रतिदिन लोगों में बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हैं जैसे-
1) हॉर्मोन्स की गड़बड़ी।
2) शरीर में आयोडीन की मात्रा सही होने के बाद भी नमक के माध्यम से शरीर में अतिरिक्त आयोडीन जाना।
3) किसी दवाई के साइड इफ़ेक्ट के कारण।
होम्योपैथिक मेडिसिन की जानकारी
क्या किसी भी रोग के लिए जिंदगीभर दवाई खाते रहना सही इलाज होता है? जबकि थायरॉइड की समस्या होम्योपैथिक मेडिसिन से कुछ समय में हमेशा के लिए ठीक हो जाती है। जानकारी हेतु कुछ होम्योपैथिक मेडिसिन के बारे में जानकारी दे रही हूं, जो थायरॉइड की समस्या को ठीक करती हैं। (यह एक जटिल रोग होता है, अत: स्वयं इलाज करने की कोशिश न करें। कुशल होम्योपैथ की देखरेख में ही इलाज कराएं।)
फाईटोलक्का बेरी (Phyto-Berry)
गले में सूजन व दर्द रहता है, मोटापा बढ़ता जाता है, सांस लेने में तकलीफ होती है, महिलाओं में ब्रेस्ट में बहुत ज्यादा दर्द होता है, जीवन के प्रति उदासीन रहती हैं, त्वचा रूखी होती है जिससे खुजली होती हैं, ग्रन्थियों की सूजन रहती हैं तो इसे लें।
केल्केरिया-कार्ब (Calcarea-Carb)
रोगी को पसीना (खासकर सिर में) बहुत आता है, रोगी दिखने में बहुत गोरा और थुलथुला होता है, अधिक मेहनत से तन और मन थक जाता है, हड्डियाँ (Bones)कमजोर और टेढ़ी हो जाती हैं, बच्चे मोटे होते चले जाते हैं और पेट बढ़ता हैं, अंडा खाना बहुत पसंद होता है, ग्लैंड्स बढ़ जाती हैं, पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती हैं, मन में इतने विचार आते हैं कि रोगी को रात को नींद नहीं आ पाती हैं और शाम के समय नींद आती है, मन में अप्रिय विचार आते रहते हैं, कमरदर्द होती है तो ये दिया जा सकता है।
नेट्रम-म्यूर(Nat-Mur)
बहुत कमजोरी और थकान महसूस होती हैं, हाइपरथायरॉडिज्म (Hyperthyrodism), घेंघा (Goiter),डायबीटीज होती है, सुबह-सुबह बहुत कमजोरी महसूस होती है, यहां तक कि बिस्तर से उठने का मन भी नहीं होता है, सिरदर्द सूरज उगने से लेकर सूरज डूबने तक होता है, शरीर में खून की कमी हो जाती है, मरीज नमक बहुत खाता है, छाती में सिकुड़न सी लगती है, धड़कन बढ़ जाती है तो इसे लेने से फायदा होता है।
थायरॉइडीनम (Thyroidinum)
शरीर में रक्त की कमी रहती है, शरीर में कम्पन होता रहता है, बहुत ज्यादा मोटापा बढ़ता है, (मोटापे में बहुत सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए) हार्ट की कमजोरी, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, मीठी चीज या मिठाई खाने की बहुत इच्छा होती है, अचानक थकान महसूस होने लगती है, त्वचा बहुत सूखी (dry)रहती है, चिड़चिड़ापन, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है, हाथ-पैर ठंडे रहते हैं, निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure), सुबह नींद बहुत आती है, उंगलियां सुन्न हो जाती है, पूरे शरीर में खुजली होती है तो इसे लें।
आयोडम (Iodum)
बहुत अधिक भोजन करने के बाद भी रोगी दुबला होता जाता है, थोड़ी सी मेहनत करते ही पसीना आ जाता है, रोगी को ठंडी हवा में रहना अच्छा लगता है, सीढ़िया चढ़ते समय सांस फूल जाती है, रोगी को अकेले रहना पसंद है, सारे शरीर में तेज गर्मी लगती है, बार-बार यूरिन होती है तो इस दवा को लेना अच्छा रहेगा।
नोट- (होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें। रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप कॉमेंट बॉक्स में डॉ. सोनल चुघ से दिए गए नंबर +91-9876-857-068पर संपर्क करें | )
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